
जब कोई ट्रेन किसी बड़े रेलवे स्टेशन में इंटर करती है तो प्लेटफार्म को खाली रहने के बाद भी आउटर पर ट्रेन को क्यों रोक दिया जाता है तो हम इसी के बारे में डिस्कस करेंगे और जानेंगे। एक ही प्लेटफार्म लाइन क्लियर होने के बाद भी ट्रेनों को कभी-कभी आउटर पर क्यों रोका जाता है।
रेल यात्रा के दौरान आपके साथ भी ऐसी घटना जरूर घाटी होगी जिसमें आप लोग अगर ऐसा कभी हुआ होगा तो गुस्सा जरूर आती होगी कि आखिर प्लेटफार्म लाइन खाली रहता है। फिर भी यहां बे वजह ट्रेनों को रोक दिया जा रहा है तो जब भी किसी बड़े रेलवे स्टेशन पर कोई ट्रेन इंटर करती है तो होता क्या है कि किसी बड़े रेलवे स्टेशन पर जितने भी प्लेटफार्म है। मान लीजिए कि 5.6.7 जो भी प्लेटफार्म है तो हर एक प्लेटफार्म का जो जो ट्रेन आती है उनके हिसाब से कैटेगरी वाइज कहिए या फिर रूट वाइज कहिए। पहले से ही है। डिसाइड होता है कि कौन सी ट्रेन किस प्लेटफार्म लाइन पर आएगी। मान लीजिए कि यहां पर केटेगरी बांटा गया है जैसे कि एक्सप्रेस ट्रेन के लिए या फिर कहीं ए प्रीमियम ट्रेन जितने भी हैं उनके लिएप्लेटफार्म 1 जो है, डिसाइड किया गया है। इसी तरह सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए कुछ और प्लेटफार्म डिसाइड किया गया है। पैसेंजर के लिए 3.4 डिसाइड किया गया है तो पहला तो रीजन यह है किवहां पर जितने भी प्लेटफार्म है उनका एक रीडिफाइन जो है, सीरियल होता है जिसके कोडिंग के वहां पर ट्रेनों को फोन किया जाएगाकि इस प्लेटफार्म पर ट्रेन से जाएंगे।
अब मान लीजिए कि कुछ लाइन पर जिस पर यह ट्रेन जाने वाली है। कोई ऑलरेडी पहलेसे ट्रेन है। भले बाकी सारे रेलवे स्टेशन खा लिए रेलवे स्टेशनपर जितने भी प्लेटफार्म खाली हो, लेकिन इस पर्टिकुलर ट्रेन के लिएजो प्लेटफार्म असाइनमेंट किया गया है वह अगर वहां पर कोई और ट्रेन होगी तो ट्रेन को यहां पर अवसर पर रोक दिया जाएगा।तू तो दूसरी चीज क्या होती है कि जो रूट वाइज होतीहै, वह ट्रेनों का डिसाइड पहले से ही जो है। फ्री डिफाइन रहता है कि किस रूट की ट्रेन क्लिक की जो है, प्लेटफार्मसे होकर जाएगी। उस प्लेटफार्म पर ऑलरेडी कोई औरट्रेन है। जरूरी ना क्या वहां पर जो है। पैसेंजर ट्रेन ही हो।
कोई माल गाड़ी वगैरह हो तो यहां पर ट्रेनों को आउटरपर रोक दिया जाएगा और उस ट्रेन को निकलने के बाद हीउसी प्लेटफार्म पर इस ट्रेन को लाया जाएगा तो दोस्तों यहां जोहै हमेशा ऐसी जो है, नियम को फॉलो किया जाता है। लेकिनकभी-कभार ऐसा जो हो जाता है जहां पर जो है यह अनाउंसमेंटकी जाती है कि यह जो ट्रेन है, इस प्लेटफार्म के बदलेइस प्लेटफार्म पर आएगी जहां पर यात्रियों को बहुत ज्यादा परेशानी होतीहै। क्योंकि जो है वहां पर उनको पहले से पता होता हैकि यह ट्रेन हमेशा इसी प्लेटफार्म पर आती है।
लेकिन अचानक से शेड्यूल बदलने के बाद उनको बहुत ज्यादा परेशानी होती है। लेकिन जोयह चीजें काम करती है, पहले से ही फ्री डिफाइन रहती हैऔर उसी के रिकॉर्डिंग जो है, हर ट्रेनों को हर लिया जाता है। तो एक और जरूरी चीजें। यहां पर यह फॉलो किया जाता है कि मान लीजिए कि कोई ट्रेन अगर जो है, टाइम लीनो हुआ आधे घंटे 20 मिनट लेट चल रही हो और वहांपर जो है उधर से ऑपोजिट डायरेक्शन से आने वाली कोई ट्रेनऐसी हो जो कि टाइम। चल रही हो तो यहां पर यहजो लेट होने वाली ट्रेन है, इनको अवसर पर रोक दिया जाताहै क्योंकि यह तो पहले से ही लेट है लेकिन जो औरटाइम भी चल रही है। ट्रेन वह लेट ना हो। इसलिए वहांपर पहले उसको लाकर उसे छोड़ने के बाद ही इन ट्रेनों कोजो आर्डर पति से रोका गया है, उसे प्लेटफार्म लाइन पर लायाजाता है तो दूसरी चीज तो यहां पर या फॉलो की जाती है। तीसरा रीजन है कि जो है आउटर पर ट्रेनों को रोका जाता है तो होता क्या है कि बहुत सारे वेंडर लोग रहते हैं या फिर कुछ ऐसे जो लोग रहते हैं जो कि प्लेटफार्मपर नहीं जाना चाहते।