देश की पहली AC जो ट्रेन चली थी, उसको ठंडा कैसे किया जाता था, सिस्टम को जानकर हैरान रह जायेगे

आप जानते कि देश की पहली AC जो ट्रेन चली थी, उसको ठंडा कैसे किया जाता था। इसी सिस्टम को जानकर आप हैरान हो जाओगे, हमारे देश में बहुत सारी ट्रैन चलती है क्या आप जानते है कि हमारे देश में पहली AC ट्रैन को ठंडा कैसे किया जाता था यैसा सिस्टम देख हैरान हो जायेगे आप तो चलिए आगे पढ़ते है की हमारे देश की पहली AC ट्रैन को कैसे ठंडा किया जाता था।

AC ट्रेन को कब शुरू किया गया:

इस ट्रेन को लंदन के अखबारद टाइम्स ने भी बेस्ट ट्रेन का टाइटल दिया था। 13 साल पहले 1 सितंबर 1928 को शुरू की गई थी और ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल ट्रेन था। पहले इस ट्रेन को पंजाब एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता था। लेकिन जब इसमें AC Coach जोड़ा गया तो इसका नाम बदलकर फ्रंटियर मेल रख दिया गया। यह बेहद खास ट्रेन थी। उस जमाने की राजधानी जैसे ही ट्रेन ऐसे महत्व रखती थी।

आपको बता दें कि फ्रंटियर मेल के AC ट्रेन को ठंडा रखने के लिए आज कल की तरह आधुनिक उपकरणों को इस्तेमाल नहीं किया जाता था। दरअसल उस समय ट्रेन को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था। AC बोगी को ठंडा करने के लिए लॉबी के नीचे बॉक्स रखा जाता था। इस बॉक्स में बर्फ रख कर पंखा लगाया जाता था। पंखे के सहारे से यात्रियों को ठंडक पहुँचता था।

ट्रैन कहा से कहा तक चलती थी:

बता दूं कि यह ट्रेन मुंबई से अफगान बॉर्डर टावर तक चलती थी इस ट्रेन मैं अंग्रेज के अफसरों के अलावा संत सेनानी भी ट्रेवल किया करते थे। इन दिल्ली पंजाब और लाहौर होते हुए पेशावर तक पहुंची थी। फ्रंटियर मेल 72 घंटे में सफर पूरा करते थे। इस दौरान पिघले हुए बर्फ को अलग-अलग स्टेशनों पर निकालकर बड़ा किया जाता था। यह ट्रेन अपने आप में बेहद खास है। इसमें बैठकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी सफर किया था।

ट्रैन की खासियत यह थी कि यह ट्रेन कभी लेट नहीं होती थी। 1934 में शुरू होने के 11 महीने बाद जब ट्रेन लेट हुई तो सरकार ने कार्रवाई करते हुए ड्राइवर को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया था इसमें 450 लोग सफर किया करते थे। यात्रा के दौरान यात्रियों को खाना भी दिया जाता था।

इतना ही नहीं यात्रियों को न्यूजपेपर बुक्स और ताश के पत्ते एंटरटेनमेंट के लिए दिए जाते थे। आजादी के बाद इस ट्रेन को मुंबई से अमृतसर के लिए चलाई जाने लगी। 1996 में नाम बदलकर गोल्डन टेंपल मेल कर दिया गया था। हमारी देश की पहली AC ट्रेन जो अपने आपमें बेहद मिसाल थी

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